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12 दिसंबर 2011

पौष मास से जानें, कैसी होगी अगले साल बारिश



हिंदू धर्म में पौष मास को बहुत ही पुण्यदायी माना गया है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार इस बार पौष मास 11 दिसंबर 2011 से शुरु होकर 9 जनवरी 2012 तक रहेगा। इन 30 दिनों में होने वाले मौसम परिवर्तन तथा ज्योतिषिय योगों के आधार पर आगामी वर्ष में होने वाली बारिश का संभावित अनुमान लगाया जा सकता है, ऐसा धर्मग्रंथों में वर्णित है। मयूर चित्रम् के अनुसार-

कुद्वत्तासुत्रितिथिषु पौषे गर्भ: प्रजापते।

तदा सुभिक्षमारोग्यं श्रावण्यां वारिवर्षणम्।।

अर्थात् पौष मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या को यदि आकाशीय गर्भ हो तो सुभिक्ष का योग बनाता है। यह योग श्रावण की पूर्णिमा को वर्षा करवाता है।

इसी प्रकार यदि पौष मास की सप्तमी को आधी रात के बाद वर्षा हो अथवा बादल गरजें तो उस क्षेत्र में वर्षा काल में बारिश नहीं होती, यह महर्षि नारद का कथन है। पौष मास के पूर्वाभाद्रप्रद नक्षत्र के दिन यदि बादल दिखाई दें, गरजें या बरसें, इंद्रधनुष या बिजलियां चमकती दिखाई दें तो अच्छी वर्षा होती है। पौष शुक्ल पंचमी को यदि बर्फ गिरे तो बारिश के मौसम में बहुत वर्षा होती है। पौष शुक्ल सप्तमी को रेवती, अष्टमी को अश्विनी तथा नवमी को भरणी नक्षत्र हो और आकाश में बिजली चमकती दिखाई दे तो पावस काल में पर्याप्त होती है। पौष की एकादशी को रोहिणी नक्षत्र में वर्षा हो तो वर्षाकाल में अच्छी बारिश होती है।

मयूर चित्रम् के अनुसार-

शुक्लायां यदि सप्तम्यां घनैराच्छदितं नभ:।

तदास्थाच्छ्रावण मासि सप्तम्यां वृष्टिरूत्तमा:।।

इसके अनुसार यदि पौष शुक्ल सप्तमी को बादल हों तो श्रावण शुक्ल सप्तमी को अच्छी वर्षा का योग बनता है।

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