एडवोकेट
एक्ट के प्रावधान के तहत ,आजीवन सनद प्राप्तकर्ता जिन्हे वर्तमान
बारकोंसिलर द्वारा सिर्फ निर्धारित समयावधि के लिए एक्सपायरी डेट वाले
लाइसेंसी बने डबल ग्रेजुएट वकील साथियों ,,,,ज़रा सोचो ,,समझो ,,,फिर फैसला
लो ,,फिर मत कहना पहले नहीं बताया था ,,दोस्तों बाद कड़वी लेकिन सच्ची है
,,,,,,पांच साल में होने वाले बार कौंसिल चुनाव नो साल में क्यों करवाए जा
रहे है ,,एक बार ,दो बार ,,तीन बार ,बार बार बारकोंसिलर चुनाव क्यों लड़ रहे
है ,,इन लोगो ने वकील साथियों के लिए क्या कुछ कल्याणकारी ,कुछ सम्मानजनक
,कुछ स्वाभिमान जनक कार्य किया है ,,,जिला अभिभाषक परिषद के लिए तो दूसरी
बार जीतने के बाद चुनाव नहीं लड़ने की पाबंदियां और खुद बार बार चुनाव लड़
रहे है ,,,चुनाव के नियम बाबा आदम के ज़माने के ,,और रिनिवल नियम में संशोधन
,,आज सोचिये जिनके रिनिवल नहीं हुए ,,उनका लाइसेंस खत्म ,अदालत में बहस कर
रहे किसी वकील के लिए अगर कोई पक्षकार ,या पीठासीन अधिकारी ,,कह दे ,आपका
रिनिवल नहीं हुआ ,,आप वकालत नहीं कर सकते ,तो उसके दिल पर क्या गुज़रेगी
,,नए वकील साथियों के लिए स्टाइफंड नहीं ,,कोचिंग प्रशिक्षण प्रॉपर सुविधा
नहीं ,,बुज़ुर्ग साथियों के लिए पेंशन सिस्टम नहीं ,,मृतक वकील के परिजनों
को ,ऊंट के मुंह में जीरा बराबर ,,सहायता ,बिमारियों के इलाज के लिए मामूली
सी ,,मदद ,,,,आमद खर्च का सभी मदो का ब्योरेवार कोई हिसाब वेबसाइट पर नहीं
,,,कर्मचारियों के होने ,प्रशासक सहित पांच सदस्यों के होने के बाद भी
,,बार कौंसिल की वोटर लिस्ट में मृतक वकील साथियों के नाम ,,ज़रा सोचिये
,प्रत्याक्षी जो दूसरे ज़िले का होने से अनजान है ,वोह मृतक वकील के घर फोन
करे ,उसके घर वोट मांगने जाए तो ऐसे परिजनों पर क्या गुज़रती होगी ,,,,,नए
लड़ने वाले लोग किस मक़सद से चुनाव लड़ रहे है ,,उनका पुराना इतिहास
,कार्यशैली ,,वकीलों के हक़ संघर्ष के समय ,पीठ में छुरा घोंपने वाला तो
नहीं ,,अधिकारियो की चापलूसी ,उनकी दलाली ,,तो नहीं ,,हड़ताल के दौरान
पदाधिकारी रहते हुए ,बेमक़सद ,हड़ताल को ब्रेक देकर वकीलों के आत्मस्वाभिमान
को चोटिल करने वाला उनका इतिहास तो नहीं ,,,हाईकोर्ट जज ,,सरकारी वकीलों के
परिवार वाले तो नहीं ,,वर्तमान न्यायिक अधिकारीयों के कुनबे वाले
रिश्तेदार तो नहीं ,,अगर ऐसा हुआ तो ज़रा सोचो ,क्या न्यायिक अधिकारी के
परिवार का सदस्य ,,वकीलों के हक़ के लिए न्यायिक अधिकारीयों के लिए लड़ सकेगा
,,,ज़रा सोचो , वकीलों के हक़ संघर्ष में इन नो सालों में ,प्रत्याक्षी
क्या कभी वकीलों के हक़ में दो अल्फ़ाज़ लिखने की हिम्मत कर सका है ,क्या उसने
विरोध किया ,, अपनी क्षेत्रीय अभिभाषक परिषदों में किया वोह कभी अपने
साथियों के बीच सिस्टम के खिलाफ माहौल बनाने वाला रहा ,किया कभी वकीलों के
हक़ में होने वाली बैठकों में ,साधारण सभाओ में लगातार उपस्थित रहा
,,दोस्तों कहावत है ,इंसान जानवर भी पालता है तो नस्ल देखकर पालता है ,,यह
चुनाव ,,पांच साल के लिए है ,,कोई भाई भतीजावाद नहीं ,कोई सीनियर ,जूनियर
का हिसाब नहीं ,, कोई चाय ,खाना पार्टी का लालच नहीं हम वकील है ,,,बार
कौंसिल स्वस्थ ,हो सशक्त हो ,,न्यायिक अधिकारियो के चमचे ,,चापलूसों से
आज़ाद हो ,,वकीलों के हक़ संघर्ष में बोलने ,,लिखने वाले लोग हों ,,बार
कौंसिल ऑफ़ इण्डिया में राजस्थान की आवाज़ बुलंद करने वाले हिम्मतवाले साथी
हो ,,जजों के खिलाफ संघर्ष में उनका परिवार ,,पत्नी ,भाई ,साला ,,वगेरा
रिश्तों का प्रेम आड़े न आता हों ,,सिर्फ वालिद कुछ थे ,,,और वोह कुछ भी
नहीं ऐसे सन स्टार न हों ,,,,,जो बोल सकता है ,संघर्ष कर सकता है ,,जो
रिनिवल क़ानून ,मार्कशीटों की जांच की बेहूदगी वाला अपमानकारी क़ानून बदलवा
सकता है ,जो वकीलों को स्टाइफंड ,,पेंशन ,,मृतक आश्रितों को दस लाख रूपये
,,बीमारी के लिए पांच लाख रूपये दिलाने के लिए संघर्ष कर सकता हों ,जो जिला
और क्षेत्रीय बारों पर अंकुश लगाने की जगह उन्हें स्वायत्ता देता हो
,,जिला अभिभाषक परिषदों में त्रेमासिक चक्रवार बैठके आयोजित कर वकीलों के
हक़ में ज्ञानवर्धक शैक्षणिक सेमिनारें आयोजित कर सकता हो ,,दुबारा चुनाव
लड़ने का वायदा करे ,,बार कौंसिलर होते हुए ,,हायकोर्ट जज ,,सरकारी अधिवक्ता
,महाधिवक्ता जैसे लाभ के पदों से लाभान्वित न हो ,,,निष्पक्षता ,निर्भीकता
के ,साथ ,,चुनिए ऐसे लोगो को जो आपको ज़िम्मेदार ,,सशक्त ,जवाबदार ,,वकीलों
के हक़ संघर्ष की हितकारी ,बार कौंसिल दे सकें ,,जहाँ आप अपना दुखदर्द ओन
लाइन लिखे ,,ज़रिये मेसेज शिकायत करे ,और तुरंत रेस्पाँस मिलकर समाधान का
प्रयास शुरू हो सके ,यह आपकी ज़िम्मेदारी है ,,के किसी भी प्रलोभन से अलग
हटकर ,सशक्त ,संघर्षशील शख्शियतों को चुने ,,जो लोग पार्टियां वगेरा के नाम
पर वकीलों को अपमानित कर उनका चरित्रहनन करने का प्रयास कर रहे है उन
ठेकेदारों का बहिष्कार करे ,,,उन्हें सबक़ सिखाये ,,मेरी बात कड़वी है ,मेरी
इन बातों से प्रत्याक्षी होने के कारण मुझे नुकसान भी होगा ,,लेकिन क्या
करूँ जो करता हूँ ,,ज़मीर को ज़िंदा रखकर करता हूँ ,,चंद ज़मीर फरोश नाराज़ हो
जाए तो हो जाएँ ,,ज़मीर वाले जाग्रत होकर एक बहतरीन ,सशक्त बार कौंसिल को
निर्वाचित करने का संकल्प तो लेंगे ,, आप किसी भी ज़िले में हो ,कस्बे में
,हो ,प्रत्याक्षियों का नाम गूगल पर डालें ,उनकी की गयी कई कार्यवाहियां
आपके सामने होंगी ,,आप उससे भी अपना बेहतर चयन कर सकेंगे ,,,,,गुस्ताखी माफ़
,,आपका भाई ,,प्रत्याक्षी बार कौंसिल राजस्थान ,,एडवोकेट अख्तर अली खान
अकेला ,,बैलेट नंबर 54 न्यायालय परिसर कोटा राजस्थान
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