दोस्तों
नफरत ..हिंसा और खतरनाक नरसंहार के बाद हम शोक मग्न है ..नक्सल पर चिन्तन
मंथन कर रहे है लेकिन हालात कुछ भी रहे हो क्या इस तरह से किसी की भी हत्या
को जायज़ ठहराया जा सकता है .दोस्तों हमारे देश में राष्ट्रपिता महात्मा
गांधी की भी हत्या की गयी थी ...........आज गांधी के उस हत्यारे को कुछ
मुट्ठी भर देश के गद्दार लोग जायज़ ठहरा कर हत्यारे का महिमा मन्दन करते है
तो दिल को तकलीफ होती है उससे भी ज्यादा तकलीफ जब होती है जब सरकार गांधी
के हत्यारों को महिमा मंडित करने और गाँधी का अपमान करने पर भी उनके खिलाफ
कोई नहीं करती उन्हें कोई ऐसी सजा नहीं देती जिससे दूसरों को इसका उदाहरण
मिले और ऐसे अपराध की पुनरावृत्ति न हो .दोस्तों हमारे भारत की सबसे पहली
आतंकवादी घटना वन्देमातरम के नाम पर नाथुराम गोडसे द्वारा राष्ट्रपिता
महात्मा गाँधी की हत्या करने की थी .और जब इस हत्यारे का महिमा मंडन होने
लगा सरकार की ख़ामोशी रही तो आतंवाद और उसका महिमा मंडन चाहे भगवा हो चाहे
चाँद तारे वाला हो चाहे किसानों का हो खुलकर होने लगा .नक्सली आतंकवादियों
ने एक नहीं दो नहीं सेकड़ों सामूहिक नरसंहार किया है ऐसे में उनका कोई महिमा
मंडन करे तो क्या यह अपराध नहीं होगा इसलियें अब आतंकवाद को महिमामंडित
करने का खेल खत्म होना चाहिए हत्यारा में रहूँ या गोडसे रहे या कसाब रहे या
फिर नक्सली रहे हत्या हत्या है और इसे सजा मिलना चाहिए साथ ही हत्यारों की
पेरवी उन्हें कानूनी मदद देना अलग बात है लेकिन उनका महिमा मंडन किसी भी
वर्ग किसी भी समाज द्वारा क्या जाए तो उसकी जगह खुले समाज में नहीं जेल में
होना चाहिए ......... लेकिन क्या इस मनमोहन जी के रहते यह सब हो पायेगा
नहीं ना जनाब क्योंकि नर्सिन्म्मा राव और मनमोहन ने तो देश और कोंग्रेस का
बेडा गर्क करने की कसम खाए है भाई ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज २७ मई, २०१३ के ब्लॉग बुलेटिन-आनन् फ़ानन पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
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