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23 अक्तूबर 2012

456 सालों की परंपरा, 86 गांव एक साथ मनाते हैं दशहरा



इंदौर। इंदौर से 55 किलोमीटर दूर एक ऐसा गांव भी है जहां आसपास के 86 गांवों के लोग इकट्ठा होकर दशहरा मनाते हैं। यहां अब भी शाही परिवार परंपरानुसार शमी पूजन करता है और गांव वालों से मिलकर उन्हें दशहरे की शुभकामनाएं देता है। इन लोगों का दावा है कि 456 सालों से यह परंपरा निभा रहे हैं।
एबी रोड पर मानपुर व गुजरी के बीच बसा यह गांव है जामन्या। यहां के किले में सोनगरा राज परिवार रहता है, जो समय के साथ अपना नाम भी गांव के नाम पर ही लिखने लगा है। परिवार के प्रमुख शालीवाहन वत्स जामन्या को आज भी लोग राजा साहब ही कहते हैं।
जामन्या ने बताया कि उनके पूर्वज राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ में रहते थे। 1303 में पूर्वज मांडव आ गए, वहां आज भी सोनगढ़ का किला उन्हीं के परिवार का है। 1556 में परिवार को जामन्या की रियासत मिली जिसमें तब 86 गांव आते थे। उसी तत्कालीन रियासत में शामिल 86 गांवों के लोग इसमें अब भी शामिल होते हैं। अब ये सारे गांव अब धार, धरमपुरी और महू तहसील में आते हैं। राजस्थान छोडऩे के बाद से ही परिवार में दशहरा उत्सव मनाने की परंपरा शुरू हुई जो पीढिय़ों से जारी है।
नवरात्रि के साथ होती है उत्सव की शुरुआत
दशहरा उत्सव की शुरुआत नवरात्रि के साथ ही घटस्थापना से होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता का विशेष पूजन और अनुष्ठान होता है। दशहरे के दिन सुबह से ही पूजा का दौर शुरू हो जाता है।
52 गांवों के मुखिया लाते हैं 52 कुंडों का जल
दशहरे के दिन 86 गांवों में से 52 गांवों के मुखिया अपने गांवों के 52 कुंडों का जल लेकर जामन्या पहुंचते हैं। इस जल से पंडित राजा को हिमाद्री स्नान करवाते हैं। इसके पहले मिट्टी, गोबर, गंगाजल और पंचामृत का लेप भी लगाया जाता है। स्नान के बाद शाही पौशाख पहनते हैं और गादी व शस्त्र पूजन होता है।
शोभायात्रा के साथ जाते हैं दशहरा जीतने
इसके बाद राजा किले से दशहरा मैदान तक शोभायात्रा के साथ शमी पूजन और रावण दहन के लिए जाते हैं। इसे गांव वाले दशहरा जीतने जाना कहते हैं। इसके बाद आतिशबाजी और बैंडबाजों के साथ वे किले में लौटते हैं। इस दौरान सभी लोगों से मिलते हुए उन्हें दशहरे की शुभकामनाएं देते हैं। श्री जामन्या ने बताया कि सोमवार को यह आयोजन शाम छह से रात साढ़े नौ के बीच होगा। इसमें 86 गांवों से करीब 15 हजार लोग शामिल होंगे। सभी कार्यक्रमों के बाद रात में सभी को माता का प्रसाद वितरित किया जाएगा।

2 टिप्‍पणियां:

  1. सांस्कृतिक परम्परा की बढ़िया जानकारी दी आपने......आभार

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  2. ये जन मन ही हमारी विरासत संवर्धित सांस्कृतिक थाती को संभाले है .बढ़िया पोस्ट .

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