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16 अप्रैल 2012

गोपलागढ़ का भूत सरकार का पीछा नहीं छोड़ रहा है

राजस्थान के भरतपुर जिले के कस्बे गोपालगढ़ का नरसंहार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पीछा नहीं छोड़ रहा है ..हाला ही में जमीयतुल उलेमा इ हिंद की चीफ ने इस मामले को फिर से गरमा दिया है उनका कहना है के अगर गोपालगढ़ में दोषी मुख्यमंत्री और मंत्री को नहीं हटाया तो कोंग्रेस को इसके परिणाम भुगतने को तय्यार रहना चाहिए ...कहने को तो यह एक मोलाना की एक राजनितिक धमकी थी ..जिसका जवाब राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन मोलाना फजले हक ने अपने अल्फाजों में दे दिया है लेकिन राजनितिक विश्लेष्ण की द्रष्टि से अगर इसे देखा जाए तो यह गोपालगढ़ का बहुत कोंग्रेस का पीछा छोड़ता नहीं दिख रहा है ..मेने कुछ बाहर के मोलानाओं और गोपलागढ़ के लोगों को समझाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने जो मुझे समझाया वोह वाजिब बात थी ...उनका कहना था के मान लिया जाए मुख्यमंत्री और मंत्री जी का इस मामले में कोई हाथ नहीं था केवल उनकी जुबान ही फिसली थी लेकिन अब सी बी आई जांच में भी कोंग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के इशारे पर निर्दोष लोगों को परेशान क्या जा रहा है उन्हें डराया धमकाया जा रहा है ..उनका कहना था के हालत यह है के उनकी पेरवी करने के लियें कोई ढंग के वकील तय्यार नहीं है ...जिसको कहते है चाहे नेता हो चाहे मोलाना हो चाहे समाज सेवक हो सभी सरकार से सोदेबाज़ी कर कुछ ना कुछ पद हथिया कर सरकार के पैरोकार बन जाते हैं ..पीड़ितों का कहना है के घटना के तुरंत बाद कलेक्टर और एस पी को भी निलम्बित किया गया लेकिन उन्हें सी बी आई ने आज तक गिरफ्तार नहीं किया है ..उनका कहना है के गोपालगढ़ मामले में सरकार ने पीड़ितों के जख्मों पर मलहम लगाने की जगह उन्हें कुरेदना और उन पर नमक मिर्च छिड़कने का काम किया है ..अब ऐसे हालातों में यह गोपलागढ़ के लोगों का दर्द जब तक जिंदा रहेगा उनके जख्म जब तक रिश्ते रहेंगे तब तक यह मामला तो बहुत बन कर सरकार के पीछे पढ़ा ही रहेगा इसलियें अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है एक निष्पक्ष फार्मूला जिसकी जांचे में चाहे कलेक्टर एस पी हो चाहे कोई भी हो चाहे हत्यारी पुलिस हो अगर उसे पकड़ा नहीं गया जेल नहीं भेजा गया तो फिर तो यह सिलसिला बंद नहीं होगा क्योंकि लोगों का यह दर्द है के सरकार हत्यारी पुलिस को सजा देने की जगह उसकी पैरोकार बनी है और बचाने को सभी कोशिशें कर उलटे निर्दोष मरने वालों और उनके परिजनों पेरोकारों को फंसाने के प्रयास कर रही है ऐसे में तो खून सर चढ़ कर बोलता है और एक दिन सरकार को इसका दंड भुगतना ही पढ़ेगा ....खेर सरकार को इस मामले को गम्भीरता से लेकर एक बार फिर पीड़ितों के जख्मों पर मलहम लगाना चाहिए और उन्हें यह विश्वास दिलाना चाहिए के दोषी कोई भी अधिकारी या पुलिसिया हो किसी भी कीमत पर नहीं बचेगा और निर्दोष को फंसने नहीं दिया जाएगा तब यह भूत यह गोपालगढ़ का जिन बोतल में बंद हो सकेगा ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. कमज़ोरों के साथ यही सुलूक होता है।
    जुर्म अपना है कि बंट कर कमज़ोर क्यों हुए ?
    मौलाना फ़ज़्ले हक़ को कोशिश करनी चाहिए कि उलमा ए इसलाम मिल्लत के साझा मसाएल हल करने के लिए मसलकी फ़िरक़ावारियत से हटकर सोचें। पूरे मुल्क में अपना एक अमीर बनाएं और अवाम को बताएं कि उन पर हुक्म ए ख़ुदा की इत्तबा वाजिब है।
    उलमा के एक होते ही अवाम एक हो जाएगी और आप के एक होते ही हरेक ताक़त सज्दे में गिर पड़ेगी।
    दुनिया में ताक़तवर ही राज करता है।
    ताक़त हासिल कीजिए,
    शिकायतों की सुनवाई यहां कम होती है।

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